शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

#Rajasthan में हुई बड़ी #bureaucraticsurgery...जानिए, विशाल सूर्यकांत के साथ, #राजस्थान_की_बात


कोरोना से जूझती राजस्थान अर्थव्यवस्था के लिए 'राजीव स्वरूप' वैक्सीन ...

. राजस्थान की आर्थिक सेहत सुधारने का टास्क
. औद्योगिक परियोजनाओं का चेहरा रहे हैं राजीव स्वरूप
. सरकार देगी तीन महीने का एक्सटेंशन
 .डीबी गुप्ता के लिए अगला प्लान है तैयार
. कोरोना काल में काम के लिए रोहित कुमार सिंह को मिला बड़ा जिम्मा
. राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी का अगला चेहरा




 - विशाल सूर्यकांत

जयपुर,  कोरोना काल में केन्द्र और राज्य की विपरीत सरकारों की राजनीतिक उलझनों के बीच गहलोत सरकार को मुख्य सचिव के रूप में , एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो केन्द्र की मदद के भरोसे नहीं बल्कि अपनी नीतियों के दम पर राजस्थान की आर्थिक सेहत को सुधारने का माद्दा रखता हो। राजीव स्वरूप के रूप में , सरकार को वो चेहरा मिल गया है। राजीव स्वरूप का राजस्थान के औद्योगिक जगत की नीतियों में लंबा जुड़ाव रहा है।

1985 से लेकर अब तक के कार्यकाल में ज्यादातर वक्त राजीव स्वरूप राजस्थान की अर्थव्यवस्था के जुड़े महकमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। मुख्यमंंत्री अशोक गहलोत के करीबी राजीव स्वरूप तब भी उनके लिए प्रासंगिक थे जब देश में पहली बार राजस्थान में रोजगार गारंटी एक्ट बनने के बाद राजस्थान में बनी गहलोत सरकार को इसे प्रभावी रूप से लागू करने की जरूरत थी। 2008 दूसरी बार सरकार में आते ही मुख्यमंत्री गहलोत ने उन्हें रोजगार गारंटी योजना का कमिश्नर बनाया।



इससे पहले 1999 में राजस्थान एडीबी, (राजस्थान अरबन डवलपमेंट) का डायरेक्टर बना कर गहलोत ने राजीव स्वरूप को उनकी क्षमताओं को पहला बड़ा मौका दिया। 2002 में ट्यूरिज्म डवलपमेंट कमिश्नर के रूप में राजीव स्वरूप की भूमिका रही। सरकार बदलने के बाद भी राजीव स्वरूप की भूमिकाएं बदलती रही लेकिन लाइम लाइट के डिपार्टमेंट उनके हिस्से में बने रहे। 2010 में गहलोत सरकार ने उन्हें सूचना और जनसंपर्क विभाग का प्रिसिंपल सेकेट्री बनाकर अपनी पसंद को जगजाहिर कर दिया । उन्हीं के कार्यकाल में गहलोत का ड्रीम प्रोजेक्ट हरिदेव जोशी विश्वविद्यालय बनकर तैयार हुआ था।

2014 के बाद से राजीव स्वरूप का प्रशासनिक अनुभव एमएसएमई,स्टेट इंटरप्राइजेज,एनआरआई, दिल्ली-मुंबई इण्ड्रस्टीयल कॉरीडोर, रीको चेयरमैन, भिवाड़ी इण्ड्रस्ट्रीयल डवलपमेट ऑर्थोरिटी , बीआईपी जैसे टास्क में काम आता रहा ..


2014 से लेकर 2018 तक औद्योगिक विकास के महकमों से जुड़े रहे राजीव स्वरूप को गृह विभाग का जिम्मा मिला हुआ था। लॉक डाउन से पहले, क्राइम कंट्रोल को लेकर गहलोत सरकार पर सवाल खड़े करने का मौका विपक्ष को मिल रहा था लेकिन लॉकडाउन की पालना जिस रूप में राजीव स्वरूप के कार्यकाल में हुई, उससे राजस्थान में कोरोना कंट्रोल में काफी मदद मिली। मुख्यमंत्री के पसंद के अफसरों में से एक राजीव स्वरूप, इस अक्टूबर में रिटायर्ड होने वाले हैं। इधर, तय प्रक्रिया की पालना होती तो डीबी गुप्ता अपने पद पर सितम्बर तक बने रहते। लिहाजा, राजीव स्वरूप को ज्यादा अवसर देने के लिए डीबी गुप्ता को तीन महीने पहले ही पद से हटा दिया गया ।


अब अक्टूबर के अलावा तीन महीने का एक्टेंशन पीरियड राजीव स्वरूप को बतौर गिप्ट मिलेगा...लेकिन उससे पहले उन्हें राजस्थान की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए आमूलचूल फैसले लेने होंगे...उनकी क्षमताओं का राजस्थान के अर्थ जगत को फायदा दिलाना होगा। केन्द्र सरकार की ओर से घोषित 20 लाख करोड के पैकेज में राजस्थान के उद्योग जगत के लिए क्या और कैसे फायदा हो सकता है...इसका एक्शन प्लान बनाकर दिखाना होगा। अपने नजरिए को स्पष्ट रूप से रखना, सही शब्दों का चयन और विचारों में शालीन लेकिन दृढ तरीके से अपनी बात मनवाने की खूबी राजीव स्वरूप में हैं। लोगों के विचारों को विस्तार से सुनने के बजाए, उसमें से मूल प्वांइट्स लेकर अपने विचारों के साथ खुद प्रस्तुत कर देना उनकी खूबी है। लोगों के बिखरे विचारों को अपने स्वरूप में ढ़ाल कर नए रूप में प्रस्तुत कर देना उनका स्टाइल हैऔर लोगों को कन्विंस करने का उनका अपना तरीका भी...

बात रोहित कुमार सिंह की...




शादी की सालगिरह के चौथे दिन बड़ा ओहदा....


रोहित कुमार सिंह, राजस्थान ब्यूरोक्रेसी का वो चेहरा है, जिनकी पोस्टिंग पर आती-जाती सरकारों के शुरूआती दौर में भले ही फर्क पड़ा हो लेकिन सरकार के बीच के दौर में वो प्रासंगिक हो ही जाते हैं। वसुन्धरा राजे सरकार में हुए गुर्जर आंदोलन के मुश्किल वक्त में रोहित कुमार सिंह, अपनी तत्परता दिखाते रहे, सरकार के पक्ष की सूचनाओं को त्वरित गति से मीडिया तक पहुंचाने का उनका अपना तरीका, उस वक्त में फेक न्यूज को रोकने में बेहद कारगर रहा । सूचना और जनसंपर्क आयुक्त के रूप में उनकी भूमिका रही। मौजूदा वक्त में रोहित कुमार सिंह ने कोरोना जैसे मुश्किल वक्त में सरकार के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य के रूप में बेहद कारगर काम किया। मुख्यमंत्री गहलोत और चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा के प्रमुख सिपाहेसालार बन रोहित कुमार सिंह, अपनी जिम्मेदारियों के लिए किसी ओर पर निर्भर रहने के बजाए खुद व्यवस्थाएं संंभालने में यकीन रखते हैं। राजस्थान में कोरोना की रिकवरी रेट राजस्थान में सबसे ज्यादा है । इसके लिए व्यवस्थाओं की कमान जिस रूप में संभाली गई है, इसका फायदा रोहित कुमार सिंह को मिला है। लेकिन कोरोना से आगे अब कानून व्यवस्था के लिहाज से सरकार को मजबूती देना बड़ा टारगेट है। ये महकमा सीधे मुख्यमंत्री से जुड़ा है और विपक्ष के निशाने पर भी रहता आया है। कोरोना काल में बेरोजगारी जनित अपराध से लेकर ऑर्गेनाइज्ड क्राइम,माफियातंत्र, करप्शन के मामलों पर सीधी कार्रवाई की जरूरत है। इस लिहाज से रोहित कुमार सिंह पर बड़ी जिम्मेदारी है।   89 बैच के आइएएस रोहित कुमार सिंह के हाथ में अब राजस्थान के गृह विभाग की कमान हैं। ख़ास बात यह है कि उनकी पत्नी नीना सिंह भी 1989 बैच की आईपीएस हैं और फिलहाल एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ट्रेनिंग के रूप में जिम्मेदारियां संभाल चुकी हैं। उनका किरदार भी लेडी सिंघम से कम नहीं है।  सीबीआई में संयुक्त निदेशक रह चुकी नीना सिंह वो तेज-तर्रार आईपीएस महिला अधिकारी हैं, जिन्होंनें यूपी सरकार ने एनएचआरएम घोटाले का पर्दाफाश किया, छोटा राजन केस को सोल्व किया । अक्टूबर 2015 में मायावती के घर पुलिस भेजकर 10 हजार करोड़ के एनएचआरएम घोटाले का पर्दाफाश कर सूर्खियां बटोरने वाली महिला आइपीएस नीना सिंह को 2015 में पीएम मोदी पुलिस मैडल से सम्मानित कर चुके हैं।


डीबी गुप्ता की बात...


डीबी गुप्ता, राजस्थान के प्रशासनिक तंत्र के वो चेहरे रहे हैं जो राजस्थान की राजनीति में दो धूर विरोधी रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुन्धरा राजे, दोनों को साधने में कामयाब रहे। चुनावों के वक्त में जिस रूप में अशोक गहलोत और वसुन्धरा राजे के बीच बयानबाजी का दौर चला, ऐसा लगा कि दोनों की पार्टियां तो हाशिए पर चली गई और अदावत सीधे व्यक्तिगत हो गई। राजनीतिक मंचों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं तो आती-जाती सरकारों में इसकी आंच ब्यूरोक्रेसी पर भी आती है लेकिन डी बी गुप्ता, इस कहानी को बदलने में कामयाब हो गए। दोनों विपरीत दिशा की कार्यशैली के मुख्यमंत्रियों के बदलते दौर का गवाह बने डीबी गुप्ता, अपने रिटायर्डमेंट के तीन महीने पहले ही मुख्य सचिव पद से विदा कर दिए गए हैं। हालांकि डीबी गुप्ता, एन.सी.गोयल से पहले ही सीएस बनने वाले थे, वसुन्धरा राजे सरकार में कर्मचारियों के सातवें वेतनमान को लेकर विरोध की स्थितियों में कई मंत्रियों तक ने उनके फैसलों का विरोध कर दिया था और आखिरी दौर की सरकार के लिए बजट तैयार करने की जिम्मेदारियों के चलते एन.सी.गोयल डीबी गुप्ता को सुपरसीड कर गए। सरकार के कार्यकाल में अभी काफी समय है, डीबी गुप्ता ने इस सरकार में अपनी भूमिका निभा ली है..लिहाजा, रिटायर्डमेंट के बाद भी उनके लिए कई रास्ते खुले रहेंगे, आने वाले समय में किसी न किसी आयोग में उनकी नियुक्ति होना तय है।




राजस्थान में इस साल 25 अफसरों का रिटायर्डमेंट 



राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में बड़े पैमाने पर अनुभवी ब्यूरोक्रेट 2020 में रिटायर्ड हो रहे हैं या हो चुके हैं। डीबी गुप्ता, मुकेश शर्मा,प्रीतम सिंह,राजीव स्वरूप,किरण सोनी गुप्ता,मधुकर गुप्ता,संजय दीक्षित के अलावा कई प्रमोटी आइएएस, कुल मिलाकर 25 आइएएस अधिकारी में रिटायर्ड हो रहे हैं। 84 और85 बैच की पंक्ति में डॉ.उषा शर्मा,रविशंकर श्रीवास्तव के बाद 60 से दशक के बाद जन्मे और 86 बैच के बाद की टीम अलग-अलग सरकारों में बड़ी भूमिकाएं निभा सकती हैं। जिसमें वीणु गुप्ता, सुबोध अग्रवाल,पी.के.गोयल,शुभ्रा सिंह, राजेश्वर सिंह, वैभव गलेरिया,संजय मल्होत्रा,निरंजन आर्य जैसे नाम शामिल हैं। इसके आगे की पीढ़ी भी अलग-अलग वक्त में अपनी जिम्मेदारियां निभा रही है।

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