न सरकारी व्यवस्था में लिपिबद्ध...
न राजनीति के वोट बैंक में सूचीबद्ध...
अपने चेहरे पर करारा तमाचा खुद मार
गालों को सूर्ख दिखाने में मशगूल हो जाते हैं ...
हम इस दुनिया में मध्यम वर्ग कहलाते हैं
एपीएल सूची अलग, बीपीएल की अलग
लोकतंत्र में हमारे वोट बंटते अलग-थलग
न राजनीतिक शक्ति, न समस्याओं से मुक्ति
अमीर और गरीब के दो पाटों के बीच फंस जाते हैं
हम इस दुनिया में मध्यम वर्ग कहलाते हैं
ईएमआई, अमीर बनने का टिकट है, इसमें क्या डाउट है
मगर तय है किसी भी वक्त इसी से हिट विकेट आउट हैं
हमें मकान, कार से आगे कहां सपनों की आस है ..?
हम ही वो है जिनकी नजर में अपने बच्चे सबसे खास हैं
पढ़े, मार्शल आर्ट, म्यूजिशियन, डांसर भी बन जाएं
कुल मिलाकर जो हम नहीं कर पाए, इन मासूमों से कराएं
पीढ़ियों से रवायत यही,, हम बच्चों से उम्मीद जताते हैं
हम इस दुनिया में मध्यम वर्ग कहलाते हैं
अक्सर सड़क पर वो जो साहब कहकर बुलाता है
उसे पता है कि जो असल साहेब है कब जवाब देते हैं
ये जो मध्यमवर्ग वाले है, वहीं शनि नाम कुछ देते हैं
हम इस इस दुनिया में मध्यम वर्ग कहलाते हैं ...
रिश्तों की कद्र हमारे घरों में, यही संस्कार कहलाते हैं
मामा, बुआ, मौसी, नानी के किस्से ही तो खास बनाते हैं
घर और नौकरी की उधेडबुन ,सबका विश्वास निभाते हैं
इस फेर में कई दफा न घर के, न घाट के कहलाते हैं
तमाम मुश्किलों के बावजूद देश की तरक्की में
हम मध्यम वर्ग के लोग ही ज्यादा काम आते हैं...
विशाल सूर्यकांत - vishal.suryakant@gmail.com - 9001092499